मां की करुणा के प्रहार से बड़ी से बड़ी शक्तियां पराजित हो जाती है। मां अपने बच्चे के लिए अपना जीवन भी दांव पर लगा देती है।
दो बकरियों की कहानी – कुमति और सुमति
मुश्किलों का हल – भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी
टीले के ऊपर दर्शन के लिये हम सब रोज़ ही जाया करते थे।
(एक) “बंदी!” “क्या है? सोने दो।” “मुक्त होना चाहते हो?” “अभी नहीं, निद्रा खुलने पर, चुप रहो।” “फिर अवसर न मिलेगा।” “बड़ा शीत है, कहीं से एक कंबल डालकर कोई शीत से मुक्त करता।” “आँधी की संभावना है। यही अवसर है। आज मेरे बंधन शिथिल जयशंकर प्रसाद
सुमित्राजी की स्वयं दो बेटियाँ ही थीं और दोनों ही बेटियों के विवाह भी हो चुके थे ।
वह किसी को परेशान नहीं करता, छोटे बच्चे भी उसे खूब प्यार करते थे।
बिल्ली जिधर जिधर भागती , वह आग लगा बोरा उसके पीछे पीछे होता।
एक दिन की बात है दद्दू अपने दोस्तों के साथ साथ , तेज कदमों से घर की ओर लौट रहा था। अचानक उसका पैर एक पत्थर पर पड़ा , कंधे पर किताब – कॉपी का बोझ लदा था , वह संभल नहीं पाया और गिर गया।
मोरल – विषम परिस्थितियों में भी अपने स्वभाव को नहीं बदलना चाहिए।
मोती ने गाय को गले लगा लिया, बचाने के लिए धन्यवाद कहा।
एक दिन गोपाल ने परेशान होकर बिल्ली को सबक सिखाने की सोंची ।
सुरीली सोच में पड़ गई , इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। मगर खाना नहीं लाया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा। काफी देर सोचने के बाद सुरीली ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी website के घर पहुंच गई।
(एक) बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक से धुनते हुए, इक्के वाले चंद्रधर शर्मा गुलेरी
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